मनुष्य सभ्यता के शुरुआत के पहले से ही उसके आसपास मौजूद संसाधनों पर निर्भर रहकर ही जीवन व्यतीत करता आया है। आग की खोज से लेकर परमाणु बमों तक की यात्रा में मनुष्य ने उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों को दोहन की सीमा तक प्रयोग किया है। पेट्रोल और डीजल जैसे प्राकृतिक तेलों की खोज और उनकी ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता का ज्ञान मानव सभ्यता के तेजी से हो रहे विकास को और अधिक तेज करने वाला सिद्ध हुआ है। आज भी भूराजनैतिक मामलों एवं अन्तराष्ट्रीय राजनीति में पेट्रोल, डीजल और अन्य प्राक्रतिक तेल के उत्पादों की बाजार में उपस्थिति बहुत मायने रखती है। पश्चिम के पूंजीवादी विकसित देशों जिनमें संयुक्त राज्य अमरीका सबसे महत्वपूर्ण है, की सारी अर्थव्यवस्था पेट्रोल के दोहन पर आधारित है। इसीकारण पश्चिमी देश सदा पेट्रोलियम के भण्डारण के लिए प्रयासरत रहते हैं।
Table of Contents
पेट्रोलियम क्या होता है
पेट्रोल और डीजल, प्राकृतिक गैस जैसे अन्य उत्पादों के साथ संयुक्त रूप से पेट्रोलियम कहलाते हैं। पेट्रोलियम एक प्रकार का जीवाश्म ईंधन होता है जो बहुत ही लम्बे समय तक अवसादी चट्टानों की विभिन्न परतों में दबे हुए जीवों एवं पौधों के तेज ताप और दाब सहने के फलस्वरूप बनते हैं। पेट्रोलियम जिसे बोलचाल की भाषा में Crude Oil यानि की कच्चा या अपरिष्कृत तेल भी कहा जाता है मूल रूप से हाइड्रोजन एवं कॉर्बन के यौगिकों जिन्हें हाइड्रोकार्बन कहा जाता है, से मिलकर बना होता है। हाइड्रोकार्बन अत्यधिक ज्वलनशील होते हैं जिस कारण पेट्रोलियम और इसके विभिन्न उत्पाद ईंधन के प्रमुख विकल्प के रूप में दुनिया भर में प्रयोग किए जाते हैं।
पेट्रोल, जिसे कई देशों में गैसोलीन भी कहा जाता है और डीजल इसी पेट्रोलियम से विभिन्न तकनीकों को प्रयोग में लाकर कई चरणों में बँटी हुई संशोधन और परिष्करण की कई प्रक्रियाओं से बनाए जाते हैं। जिनका उपयोग कई तरह की छोटी – बड़ी इंजनो में किया जाता है।
पेट्रोल और डीजल कैसे बनाए जाते हैं
पेट्रोल, डीजल एवं अन्य उत्पाद पेट्रोलियम से एक विशाल सिलंडरनुमा पात्र में बनाए जाते हैं। इस विशाल पात्र को डिस्टिलेशन कॉलम कहा जाता है। इस कॉलम को तेज आंच पर गर्म किया जाता है जिससे पात्र में मौजूद पेट्रोलियम उबलना शुरू कर देता है। इस कॉलम में से एक बड़ा हिस्सा वाष्पीकृत होकर बाहर निकल जाता है। इस प्रक्रिया को आसवन या Distillation कहा जाता है। तेल गर्म होकर गैस बनकर ऊपर की ओर जाता है और संघनित होकर फिर द्रव में बदल जाता है। कॉलम का नीचे का हिस्सा सबसे अधिक गर्म तथा ऊपर का हिस्सा क्रमशः ठण्डा होते हुए सबसे कम गर्म होता है। पात्र के अलग – अलग हिस्सों में अलग – अलग तापमान होने के कारण पात्र में मौजूद पेट्रोलियम अलग – अलग घनत्व के विभिन्न द्रवों और गैसों में बदल जाता है। इन अलग – अलग द्रवों को अलग – अलग पात्रों में इकठ्ठा कर लिया जाता है। नीचे से ऊपर की तरफ जाते हुए उत्पाद क्रमशः मँहगे होते जाते हैं।
अलग – अलग उत्पादों को अलग करने के बाद उनको शुद्धिकरण (Purification) के अंतर्गत लाया जाता है जिसमे अवांछित तत्व जैसे कि सल्फ़र को उत्पाद में से अलग कर दिया जाता है। इसके अंतर्गत Cracking, Unification, Alteration जैसी प्रक्रियाएँ आती हैं।शुद्धिकरण के बाद उत्पाद को संशोधन की प्रक्रिया के अंतर्गत लाया जाता है। जिसमें उत्पाद को उपयोग के उचित गुणवत्ता का बनाने के लिए उसे अन्य छोटी – छोटी प्रक्रियाओं से निकाला जाता है।
सबसे आखिर में मिश्रण की प्रक्रिया आती है जिसमें उत्पाद को नवीनतम इंजन तकनीकों के अनुरूप बनाने के लिए विभिन्न सहायक अवयव मिलाए जाते हैं। भारी उत्पादों को हल्के और सरल उत्पादों में बदला जाता है जिससे वो उपयोग में लाए जाने के लिए सुलभ हो सकें।
ज्यादातर यातायात के साधन पेट्रोल और डीजल की मदद से ही चलते हैं जिससे पेट्रोल और डीजल अर्थव्यवथा और सामान्य मानव जीवन के सुचारू रूप से चलने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इंजन तेल की रासायनिक ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में बदल देता है। इंजन के कम्बशन में में पेट्रोल या डीजल जलाया जाता है जिससे जन्मी ऊष्मा और दाब को उपयोग कर के इंजन अपने पुर्जों को चलाती है जिससे कोई भी इंजन काम करती है।
यह भी पढ़ें: हवाई जहाज कैसे उड़ता है
भारत में प्राकृतिक तेल कहाँ से आता हैं
भारत में असम और महाराष्ट्र में प्राकृतिक तेल के कुछ भण्डार मौजूद हैं लेकिन भारत की विशाल जनसँख्या और विकासशील अर्थव्यवस्था को देखते हुए भारत मोटे तौर पर प्राकृतिक तेलों और अन्य उत्पादों के लिए विदेशों पर ही आश्रित है।
खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था प्राकृतिक तेलों के अथाह भण्डारों की खोज के बाद ही आसमान पर पहुँची है। भारत की विदेश नीति सदा से समन्वयकारी रही जिससे भारत को खाड़ी देशों से सदा तेल प्राप्त होता रहा है। साथ ही भारत के सम्बन्ध आज़ादी के बाद से रूस (तब सोवियत संघ) के साथ मधुर रहे हैं जिससे भारत की तेल की खपत के बड़े हिस्से की पूर्ति रूस से प्राप्त तेल से होती है। भारत एक विकासशील देश है जिससे भारत में प्राकृतिक तेल की बहुत अधिक खपत है। भारत अपनी तेल आपूर्ति सबसे अधिक इराक़ (Iraq), सऊदी अरब (Saudi Arabia) से करता है। इसके बाद भारत रूस (Russia) से जोकि भारत का कई क्षेत्रों में सहायक राष्ट्र है से तेल आयातित करता है। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्र है जिसे चीन सबसे बड़ी मात्रा में तेल निर्यात करता है। हालाँकि युक्रेन और रूस के युद्ध ने ये आंकड़ा थोड़ा बदला है और अगस्त 2022 में सऊदी अरब जो भारत को तेल उपलब्ध कराने वाला तीसरा बड़ा देश था अब कूद कर दुसरे स्थान पर आ गया है।
भारत के कच्चे तेल का आयात – शीर्ष 10 देश
पेट्रोलियम विभिन्न प्रकार के संशोधित ईंधन उत्पन्न करने के साथ – साथ CO2, CO, SO2, NOX, VOC, Particulate Matter जैसे विभिन्न प्रकार के प्रदूषक तत्वों को भी जन्म देता है। ये सारे तत्व मानव स्वास्थ्य के साथ – साथ समस्त पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। ये तत्व जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी भयानक त्रासदियों के जनक हैं। साथ ही जो सबसे गौरतलब बात है वो है कि जीवाश्म ईंधन पृथ्वी पर सीमित हैं। इसकारण सरकारें वैश्विक स्तर पर इनके नवीन और उत्तम विकल्प खोज रही हैं और इन ईंधनो के निरंतर प्रयोग को हतोत्साहित करने के प्रयास भी कर रहीं हैं। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हर व्यक्ति का ये दायित्व है के वो भी इस दिशा में अपना योगदान देता रहे।